रविवार, 2 अगस्त 2009

hमिलती है उनसे नज़र कभी कभी -कभी कभी

होती है बातें मगर कभी कभी -कभी कभी !

उनको तो कुछ काम नहीं याद करने के सिवा

आती है हमें याद पर कभी कभी - कभी कभी !

यूँ तो उस गली से रोज कई दफा गुजरते हैं

जाते हैं पर उनके घर कभी कभी - कभी कभी

जिंदगी में रोज़ ही एक नया गम मिलता है

खुशियाँ होती है मयस्सर

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.

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  2. milti hai aisi post bhi padhne kabhi-kabhi
    hamko kavita aapki achchhi bahut lagi.

    -m.hashmi

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