शनिवार, 14 नवंबर 2009

geet

तुम अगर आओ मेरी बाँहों में मुद्दत से बिगड़ी तकदीर संवर जाये .
प्यार का भर दो रंग दामन में हसरत कि उजड़ी तस्वीर संवर जाये.
हाय वीरान है जिंदगी का चमन दिल में उल्फत का गुल खिला ही नहीं 
लडखडाते हैं  थके हुए ये कदम  सहारा अब तलक मिला ही नहीं 
मैं तरसता रहूँ हमराही को जिंदगी यूँ ही न गुज़र जाये !
बेकरार है दिल किसी कि चाहत को हमसफ़र ढूंढ़ रही बेताब नज़र 
तुम ही हो मेरी मोहब्बत के खुदा हो न जाये कहीं दुआ बेअसर 
सहेज के रखी है जो मुद्दत से दिल कि वो आरजू न मर जाये !
रंजो गम भूले हम  ज़माने के सांसों में जब तेरा पयाम आये 
जहाँ भी चर्चे चलें वफाओं के ज़ुबां पे तेरा ही नाम आये 
हर तरफ जलवे तुम्हारे रोशन हों तुमको देखूं जहाँ नजाए जाये !

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